लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

52- सौंदर्या के अवतरण से घर में आई खुशियां

 बहुत कठिनाई, परेशानी,मान मनौती, दुआओं और इलाज के बाद श्रेया मां बन सकी। उसके घर में सौंदर्या  के रूप में खुशी का अवतरण हुआ और पूरा परिवार खुशी के माहौल में खुश हो गया। सौंदर्या के आने से सभी का जीवन सुखद हो गया, घर में खुशी का वातावरण छा गया। रिश्तों में प्यार बढ़ गया, सासु मां के साथ श्रेया की सम्बंध बहुत ही मृदुल  और मधुर हो गए हैं।अब वह मां बेटे जैसी हो गई थी। श्रेया की ननद रक्षा का योगदान भी सराहनीय रहा, उसने भाभी के लिए पूजा पाठ से लेकर सेवा सुश्रुषा कर अपना फर्ज अदा किया। और उन दोनों के बीच बहनों जैसा प्यार था, वह दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करती थी। वह सौंदर्या के आने से बहुत खुश थी। ससुर जी भी बहुत खुश थे। आखिर क्यों न हों, दादा जी जो बन गये थे। श्रेया और श्रवन तो अपने आप में खुश थे ही और खुश थे रानी और दीपक की मदद करके, क्योंकि  दीपक ने अनजान होते हुए भी रक्तदान करके उनकी बहुत मदद की थी। एक दूसरे की मदद करना..... एक मानवीय धर्म है, जो हम सब को करना चाहिए। इसी तरह श्रेया और श्रवण दीपक और रानी एक अनजान होते हुए भी एक नए रिश्ते में बंध गए, और उन चारों के बीच जो प्यार उत्पन्न हुआ वह भगवान का दिया हुआ वरदान ही था। लगता ही नहीं था, कि यह कभी अनजाने हुआ करते थे। उन चारों के बीच एक परिवार जैसा प्यार है, एक के दुख में सभी दुखी हो जाते एक ही खुशी में सभी खुश हो जाते। इस तरह इस उपन्यास का समापन मैं सौंदर्या के अवतरण के साथ करना चाहती हूं इसको क्रमशः दूसरे पाठ में दूसरे भाग में मैं रानी के घर में संतान के अवतरण के साथ करना चाहूंगी तो कृपया आप सभी इस उपन्यास को पढ़कर मुझे अपनी सद्भावनाएं अपना आशीष प्रदान करें।और अपना प्यार दिखाएं।आप इस उपन्यास को पढ़कर मेरा उत्साहवर्धन करेंगे। और आप इसको पढ़ेगे अपना आशीष देंगे तो मुझे भी लगेगा कि मैं आगे लिखने की प्रक्रिया को जारी रख, आपको समय-समय पर निरंतर कुछ पढ़ने को उपलब्ध कराती रहूं ।
उम्मीद करती हूं, कि आप सभी पाठकों को मेरा यह उपन्यास पसंद आएगा। और आप इसे पढ़ेंगे,अपने दोस्तों रिश्तेदारों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर मेरा उत्साह बढ़ाएंगे।
मैं आप सभी का आभार व्यक्त करती हूं कि आप सबका प्यार मुझे प्राप्त हो। धन्यवाद

ये उपन्यास का उपसंहार है। मतलब अंतिम पड़ाव

लेखिका
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व लिखित व मौलिक
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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8 Comments

Raziya bano

14-Oct-2022 08:52 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

14-Oct-2022 04:28 PM

बहुत ही खूब लिखा मैम👌👌

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shweta soni

14-Oct-2022 03:18 PM

Behtarin rachana

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